अधिनियम के अंतर्गत रजिस्टर्ड एक ऐसी संस्था है जो कन्याओं से संबंधित समस्याओं पर कार्य करती है। चूकि कन्याएँ हमारे समाज की अभिन्न अंग है और इनकी उपेक्षा करके हम एक सभ्य एंव विकसित समाज की कल्पना भी नहीं कर सकते। हम अपने आपको एक सभ्य मानव की संज्ञा देते है और एक सभ्य समाज की चाहत रखते हैं। लेकिन जब तक कन्याएँ पुरूषों की तरह निर्णय लेने मे, शिक्षा के क्षेत्र मे बराबर नहीं आ जाती है, तब तक एक विकसित समाज का सपना एक कल्पना मात्र ही रह जाएगा।
आज जितने भी देश जो विकसित कहलाते हैं। वहाँ कें कन्याएँ वहाँ की समाज की एक निर्णयकर्ता है लेकिन हमारे भारत मे और खास कर हमारे बिहार मे कन्याओं के साथ आज भी भेदभाव किया जाता है। और इतना ही नही बल्कि जीवन के प्रत्येक कदम पर इनका शोषण होता है। तथा इनके कदम-कदम पर समाज द्वारा काँटे ही काँटे डाल दिये जाते हैं हम चाहते हैं की अपनी कन्याओं को सुंदृढ़ बनाये, लेकिन समाज की कई कुरीतियाँ हमें अपने मकसद से रोकती हैं और जिनका मुल्य हमारी बेटीयों को चुकाना पडता हैं।







